आजकल जहां कई सरकारी शिक्षक अपनी जिम्मेदारी से कतराते नज़र आते हैं, वहीं एक शिक्षक ने अपने कर्म और समर्पण से इंसानियत की मिसाल पेश की है। बच्चे के जन्म के समय पत्नी का निधन हो गया, लेकिन इस बहादुर पिता ने अपने दर्द को ताकत में बदल दिया।
नवजात शिशु को गोद में लेकर वह हर रोज़ स्कूल पहुंचता रहा और बच्चों को पढ़ाना जारी रखा। एक हाथ में बच्चा और दूसरे हाथ में कलम — इस दृश्य ने हर किसी का दिल छू लिया।
गांव-इलाके के लोग आज इस शिक्षक के जज़्बे को सलाम कर रहे हैं। यह कहानी न सिर्फ शिक्षक धर्म का सच्चा उदाहरण है बल्कि जीवन में हिम्मत और जिम्मेदारी निभाने की प्रेरणा भी देती है।












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